सुहागरात को पती: तुम्हीं मेरी साधना हो,
तुम ही मेरी आराधना हो,
तुम ही मेरी कल्पना हो,
तुम ही मेरी कविता हो…!
तो पत्नी भी भावुक होकर: तुम ही मेरे रमेश हो
तुम ही मेरे दिनेश हो,
तुम ही मेरे महेश हो और
तुम ही मेरे गाँव वाले सुरेश हो…!
सुहागरात को पती: तुम्हीं मेरी साधना हो,
तुम ही मेरी आराधना हो,
तुम ही मेरी कल्पना हो,
तुम ही मेरी कविता हो…!
तो पत्नी भी भावुक होकर: तुम ही मेरे रमेश हो
तुम ही मेरे दिनेश हो,
तुम ही मेरे महेश हो और
तुम ही मेरे गाँव वाले सुरेश हो…!