Rakhta Hai Jo Housla Aasmaan Ko Chune Ka
परिंदों को नही दी जाती तालीम उड़ानों की, वो खुद ही तय करते है मंजिल आसमानों की…! रखता है जो होसला आसमान को छूने का, उसको नही होती परवाह गिर जाने की…!
परिंदों को नही दी जाती तालीम उड़ानों की, वो खुद ही तय करते है मंजिल आसमानों की…! रखता है जो होसला आसमान को छूने का, उसको नही होती परवाह गिर जाने की…!
दुनिया की हर चीज़ ठोकर लगने से टूट जाया करती है, एक “कामयाबी” ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है..!
ये जिंदगी उस रब की सजा है, जिसका अपनाही एक मजा है, हर वक्त खुदा से मेरी यही दुवा है, आपको इतनी खुशियाँ दे, की आप भी सोचो इसकी क्या वजह है…
शबनम की बुँदे फूलों को भीगा रही है, ठंडी लहरे ताजगी जगा रही है, हो जाए आप भी उसमे शामिल, एक प्यारी सी सुबह आपको बुला रही है…