Dosti Ke Do Pal Ji Bharke Ji Lo
किस हद तक जाना है यह कौन जानता है, किस मंजिल को पाना है यह कौन जानता है, दोस्ती के दो पल जी भरके जी लो, किस रोज बिछड जाना है यह कौन जानता है…
किस हद तक जाना है यह कौन जानता है, किस मंजिल को पाना है यह कौन जानता है, दोस्ती के दो पल जी भरके जी लो, किस रोज बिछड जाना है यह कौन जानता है…
नयी नयी सुबह नया नया सवेरा, सूरज के किरणों के बिच हवाओं का बसेरा, खुले आसमान मे सूरज का चेहरा, मुबारक हो आपको यह हँसी सवेरा…
रब कहता है, किसी को तकलीफ देकर मुझसे अपनी खुशी की दुवा मत करना, लेकीन अगर किसी को एक पल की खुशी देते हो तो, अपनी तकलीफ की फिकर मत करना…
मुस्कुरा दो जरा खुदा के वास्ते, शमा ए महफिल मे रोशनी कम है, तुम हमारे नही तो क्या गम है, हम तुम्हारे तो है ये क्या कम है…