Apna Vyaktitva Itna Uncha Banaye Ki
दुसरो को सुनाने के लिए, अपनी आवाज ऊँची मत करिये, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाये की, आपको सुनने की लोग मिन्नत करे…
दुसरो को सुनाने के लिए, अपनी आवाज ऊँची मत करिये, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाये की, आपको सुनने की लोग मिन्नत करे…
जो अपने लिए जीते है, वो मर जाते है.. जो समाज के लिए मरते है, वो जिन्दा रहते है
दूसरे की भावना का सम्मान करे, हो सकता है यह आपके लिए कुछ भी न हो पर, उसके लिए बहुत कुछ है…
खौलते हुए पानी में जिस तरह प्रतिबिम्ब नहीं देखा जा सकता है, उसी तरह क्रोध की स्थिति में सच को नहीं देखा जा सकता है…