दुसरो को सुनाने के लिए,
अपनी आवाज
ऊँची मत करिये,
बल्कि अपना व्यक्तित्व
इतना ऊँचा बनाये की,
आपको सुनने की
लोग मिन्नत करे…
दुसरो को सुनाने के लिए,
अपनी आवाज
ऊँची मत करिये,
बल्कि अपना व्यक्तित्व
इतना ऊँचा बनाये की,
आपको सुनने की
लोग मिन्नत करे…