चिराग-ए-फिकर यक़ीनन बुझा के सोते है,
मगर नसीब की शमा जला के सोते है,
वो रोज़ ख्वाब में जन्नत देखते होंगे,
जो अपनी माँ के पैर दबा के सोते है…
चिराग-ए-फिकर यक़ीनन बुझा के सोते है,
मगर नसीब की शमा जला के सोते है,
वो रोज़ ख्वाब में जन्नत देखते होंगे,
जो अपनी माँ के पैर दबा के सोते है…