कब तक रहोगे आखिर यूँ दूर दूर हम से,
मिलना पडेगा आखिर एक दिन जरूर हमसे,
दामन बिछानेवाले ये बेरुखी है कैसी,
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हमसे,
हम छोड़ देंगे तुमसे यूँ बात-चित करना,
तुम पुँछते फिरोगे अपना कसूर हमसे…
कब तक रहोगे आखिर यूँ दूर दूर हम से,
मिलना पडेगा आखिर एक दिन जरूर हमसे,
दामन बिछानेवाले ये बेरुखी है कैसी,
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हमसे,
हम छोड़ देंगे तुमसे यूँ बात-चित करना,
तुम पुँछते फिरोगे अपना कसूर हमसे…