काश कोई रोटी डे होता,
तो लोग भुख से बिखलते लोगों को रोटी बांटते,
काश कोई कपडा डे होता,
तो लोग ठंड से ठिठुरते लोगों को कपडे बांटते,
काश कोई इंसानियत डे भी होता,
तो लोग इंसानियत क्या होती है समझ पाते…
काश कोई रोटी डे होता,
तो लोग भुख से बिखलते लोगों को रोटी बांटते,
काश कोई कपडा डे होता,
तो लोग ठंड से ठिठुरते लोगों को कपडे बांटते,
काश कोई इंसानियत डे भी होता,
तो लोग इंसानियत क्या होती है समझ पाते…