जिसने हक दिया था मुझे मुस्कुराने का,
उसे शौक हे मुझे अब रुलाने का,
जो लेहरो से छिन कर लाया था किनारो तक,
इन्तज़ार है उसे अब मेरे डुब जाने का…
जिसने हक दिया था मुझे मुस्कुराने का,
उसे शौक हे मुझे अब रुलाने का,
जो लेहरो से छिन कर लाया था किनारो तक,
इन्तज़ार है उसे अब मेरे डुब जाने का…