Kya Bharosa Hai Jindagi Ka
क्या भरोसा है जिंदगी का, इंसान बुलबुला है पानी का, जी रहे है आज कपडे बदल बदल कर, एक दिन एक कपडे में, ले जाएंगे कंधे बदल बदल कर…
क्या भरोसा है जिंदगी का, इंसान बुलबुला है पानी का, जी रहे है आज कपडे बदल बदल कर, एक दिन एक कपडे में, ले जाएंगे कंधे बदल बदल कर…
स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नरक का डर छोड़ दो, कौन जाने क्या पाप क्या पुण्य, बस… किसी का दिल ना दुखे अपने स्वार्थ के लिए, बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो…
क्या दौर आया है, एक और कुछ अमीर की सोच है की, कितना सोना खरीदना है… वही कुछ गरीब सोच रहे है की, कहा पर सोना है…
ऐसे जीवन जिओ की, अगर कोई आपकी बुराई भी करे तो कोई उस पर विश्वास न करे…