Muqaddar Ko Kasur Dena Acchi Baat Nahi
हर बार मुक्कदर को, कसूर देना अच्छी बात नहीं, कभी कभी हम उन्हे मांग लेते है, जो किसी और के होते है…
हर बार मुक्कदर को, कसूर देना अच्छी बात नहीं, कभी कभी हम उन्हे मांग लेते है, जो किसी और के होते है…
इंतजार की आरजू अब खो गयी है, खामोशियों की आदत हो गयी है, ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से, अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाइयों से हो गयी है…
इस दुनिया मे आँसू की कीमत वो क्या जाने, जो हर बात पे आँसू बहाते रहते है, आँसू की कीमत उनसे पूछो, जो गम मे भी हँसते और मुस्कुराते रहते है…
अब इंतेजार एक आदत सी हो गयी है, खामोशी से एक अजब सी चाहत सी हो गयी है, ना शिकवा ना शिकायत करने की जरुरत है, क्योंकी इस तन्हाई से मोहब्बत सी हो गयी है…