Zindagi Tujhse Samjhota Kyo Karu
ज़िन्दगी तुझसे हर कदम समझौता क्यों किया जाए, शौक जीने का है मगर, इतना भी नहीं की, मर मर के जिया जाए…
ज़िन्दगी तुझसे हर कदम समझौता क्यों किया जाए, शौक जीने का है मगर, इतना भी नहीं की, मर मर के जिया जाए…
हम में तो हिम्मत है, दर्द सहने की… तुम इतना दर्द देते हो, कही थक तो नहीं जाते…
मेरी मोहब्बत बेजुबाँ होती रही, दिल की धड़कने अपना वजूद खोती रही, कोई नहीं आया मेरे दुःख में करीब, एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही…
आँसुओ को पलकों तक लाया न करो, दिल की बात किसी को बताया न करो, लोग तो मुट्ठी में नमक लिए फिरते है, अपने जख्म किसी को दिखाया ना करो…