Kabhi Mil Sako To Be Vajaha Milna
कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना. वजह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है. “कदर और इज़्ज़त करनी है, तो जीते जी करो, क्योंकि अरथी उठाते वक़्त तो नफरत करने वाले भी रो पड़ते है ।
कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना. वजह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है. “कदर और इज़्ज़त करनी है, तो जीते जी करो, क्योंकि अरथी उठाते वक़्त तो नफरत करने वाले भी रो पड़ते है ।
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ. हर रोज़ थका-हारा, आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ। बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल, “बङे हो कर क्या बनना है?” जवाब अब मिला, “फिर से बच्चा बनना है”
कभी पीठ पीछे आपकी बात चले, तो घबराना मत… क्योंकी बात तो “उन्ही की होती है” जिनमे कोई “बात” होती है…
माफ़ी करना किसी कैदी को आज़ाद करने की तरह है. और आपको ये एहसास होगा की वो कैदी आप ही है. क्षमा, प्रेम का अंतिम रूप है… क्षमा के बिना कोई प्रेम नहीं है, और प्रेम के बिना कोई क्षमा नहीं.