तनहा सा था जब भीड मे,
सोचा कोई अपना नही तकदीर मे,
एक दिन अचानक ही आप सब दोस्त बने,
तो ऎसा लगा कुछ खास था हाथों की लकीरों मे…
तनहा सा था जब भीड मे,
सोचा कोई अपना नही तकदीर मे,
एक दिन अचानक ही आप सब दोस्त बने,
तो ऎसा लगा कुछ खास था हाथों की लकीरों मे…