महफिल बनी रही युही तुम्हारी,
चाहे बिखर जाये ये जिंदगी हमारी,
दिवानगी इस कदर बढ़ गयी है,
के सह ना पाये एक पल जुदाई तुम्हारी…
महफिल बनी रही युही तुम्हारी,
चाहे बिखर जाये ये जिंदगी हमारी,
दिवानगी इस कदर बढ़ गयी है,
के सह ना पाये एक पल जुदाई तुम्हारी…