Nafrat Kabhi Na Karna Tum Hamse
नफरत कभी न करना तुम हमसे, ये हम सह नहीं पाएंगे… एक बार कह देना हमें ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी, तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे…
नफरत कभी न करना तुम हमसे, ये हम सह नहीं पाएंगे… एक बार कह देना हमें ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी, तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे…
नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यों किया..? देना था ज़हर तो प्यार क्यों किया..? देकर ज़हर कहते हो पीना ही होगा और, जब पी गए ज़हर तो कहते हो अब जीना ही होगा…
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने, भरी महफिल में तनहा बिठा दिया उसने, ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से, खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने…
बीते साल को विदा इस कदर करते है, जो नही किया अब तक वो भी कर गुजरते है, नया साल आने की खुशियाँ तो सब मनाते है, चलो हम इस बार बीते साल की यादों का जश्न मनाते है…!