Bich Raah Me Saath Chhoda Usne
दिल को न जाने क्यों तोडा उसने, बिच राह में ही साथ छोड़ा उसने, जब ऐसे ही जाना था उनको, तो फिर ये रिश्ता क्यों जोड़ा उसने…
दिल को न जाने क्यों तोडा उसने, बिच राह में ही साथ छोड़ा उसने, जब ऐसे ही जाना था उनको, तो फिर ये रिश्ता क्यों जोड़ा उसने…
मेरी मोहब्बत क्या रंग लायी है, दूर दूर तक बस तन्हाई है, हम जिए तो जिए कैसे, वह क्या तेरी बेवफाई है…!
हमने वक़्त से बहुत वफ़ा की, लेकिन वक़्त हमसे बेवफाई कर गया… कुछ तो हमारा नसीब बुरा था, कुछ उनका हमसे जी भर गया…
जिन्दगी की बात करते हो, यहाँ तो मौत भी हम से खफा है, हम ताज क्यों बनाए, अपनी तो मुमताज ही बेवफा है…