Kuch Khoya Aur Kuch Paya
जो कुछ भी मैंने खोया, वह मेरी नादानी है! और, जो कुछ भी मैंने पाया, वह रब की मेहरबानी है!
जो कुछ भी मैंने खोया, वह मेरी नादानी है! और, जो कुछ भी मैंने पाया, वह रब की मेहरबानी है!
हम झुकते है क्योंकि हमें, रिश्ते निभाने का शौक है.. वरना गलत तो हम कल भी नहीं थे, और आज भी नहीं है…
मिली थी जिंदगी, किसी के काम आने के लिए.. पर वक्त बित रहा है, कागज के टुकड़े कमाने के लिए.. क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..? ना कफन में ‘जेब’ है ना कब्र में ‘अलमारी’, और ये मौत के फ़रिश्ते तो, रिश्वत भी नहीं लेते…
“अपनों के साथ, वक्त का पता नहीं चलता.. मगर, वक्त के साथ, अपनों का पता चल जाता है…