आने की आहत पे शमा जलाई होगी,
कभी जुदाई के गम से आख भर आई होगी,
फिकर ना कर मेरे यार,
उस रबने मिलने कि कोई तो शाम बनाई होगी…
आने की आहत पे शमा जलाई होगी,
कभी जुदाई के गम से आख भर आई होगी,
फिकर ना कर मेरे यार,
उस रबने मिलने कि कोई तो शाम बनाई होगी…