Mat Puchna Khafa Hone Ka Sabab
मत पूछना खफा होने का सबब मुझसे, कैसे-कैसे खेले है किस्मत ने खेल मुझसे, अब कैसे छिपाऊँ अश्क इन आँखों में, क्या बताऊ अब क्या छूट गया है मुझसे…
मत पूछना खफा होने का सबब मुझसे, कैसे-कैसे खेले है किस्मत ने खेल मुझसे, अब कैसे छिपाऊँ अश्क इन आँखों में, क्या बताऊ अब क्या छूट गया है मुझसे…
कितने वर्षो का सफर खाक हुआ… उसने जब पूछा, “कहो कैसे आना हुआ…?”
यूं तो खामोश ही रहती है आँखे, अगर समझ सको तो, बहुत कुछ कहती है आँखे, कौन कहता है, की रोती है आँखे, रोता तो दिल है, मगर कहती है आँखे…
हमे उनसे कोई शिकायत नहीं, शायद हमारी ही किसमत में चाहत नहीं, मेरी तक़दीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया, पूछा तो कहा ये मेरी लिखावट नहीं…