Jo Na Mila Uski Khwaish Na Ki
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर, मैंने दर्द की अपने नुमाइश न की, जब, जहाँ, जो मिला, अपना लिया, जो न मिला, उसकी ख्वाइश न की…
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर, मैंने दर्द की अपने नुमाइश न की, जब, जहाँ, जो मिला, अपना लिया, जो न मिला, उसकी ख्वाइश न की…
जब चलना नहीं आता था, गिरने नहीं देते थे लोग.. जब से संभाला है खुद को, कदम कदम पर गिराने की सोचते हैं लोग…!
मोहब्बत का नतीजा, दुनिया में हमने बुरा देखा, जिन्हे दावा था वफ़ा का, उन्हें भी हमने बेवफा देखा…
उम्र भर ग़ालिब, ये ही भूल करता रहा.. धूल चेहरे पे थी, और आईना साफ करता रहा…