Har Mehfil Royegi Shyari
हर महफ़िल रोएगी, हर दिल भी रोएगा, जहा डूबेगी मेरी कश्ती, वो साहिल भी रोएगा, इतना प्यार बिखेर देंगे ज़माने में हम, की क़त्ल करके मेरा कातिल भी रोएगा…
हर महफ़िल रोएगी, हर दिल भी रोएगा, जहा डूबेगी मेरी कश्ती, वो साहिल भी रोएगा, इतना प्यार बिखेर देंगे ज़माने में हम, की क़त्ल करके मेरा कातिल भी रोएगा…
हम आँखों को फूल कहते है, जैसी महफ़िल हो वैसी ग़ज़ल कहते है, हम महफ़िल में जाया नहीं करते पर, हम जहा हो उसे लोग महफ़िल कहते है..
अर्ज़ किया है… सो कर मेहबूबा की बाँहों में ऐसा जोश आया.. . वाह ! वाह ! . वाह ! वाह ! . फिर्र्र..? . फिर क्या!!! . बीवी ने देख लिया और अदालत में होश आया.
वो शाहजहाँ का पागलपन था, वरना मुमताज में बात क्या थी…? मोहब्बत की कशिश ने ताज महल बना डाला, वरना लडकीयों की औकात ही क्या थी…