Kabhi Ruth Jau To Mana Lena
गिले शिकवे दिलसे न लगा लेना, कभी रूठ जाऊ तो मना लेना, कल का क्या पता हम हो न हो, इसलिए जब भी मिलू, प्यार से मेरा हाथ थाम लेना…
गिले शिकवे दिलसे न लगा लेना, कभी रूठ जाऊ तो मना लेना, कल का क्या पता हम हो न हो, इसलिए जब भी मिलू, प्यार से मेरा हाथ थाम लेना…
कितना मनाते है आपको फिर भी आप मानती नहीं, दर्द हमें भी होता है, पर आप है के जानती नहीं…
नाराज़गी भी बहुत ज़रूरी है, कोई हमें मनाने वाला भी है.. पता चल जाता है!
मैं तो चिराग हूँ तेरे आशियाने का, कभी ना कभी तो बुझ जाऊंगा.. आज शिकायत हैं तुझे मेरे उजाले से, कल अँधेरे में बहुत याद आऊंगा!!