Mai Is Kaabil To Nahi Ki Koi Mujhe Apna Samjhe
मै इस काबील तो नही की कोई मुझे अपना समझे, मगर इतना यकीन है, कोई अफसोस जरूर करेगा मुझे खो देने के बाद…
मै इस काबील तो नही की कोई मुझे अपना समझे, मगर इतना यकीन है, कोई अफसोस जरूर करेगा मुझे खो देने के बाद…
हर कोई किसी की मजबूरी नही समझता, दिल से दिल की दुरी नही समझता, कोई तो किसी के बिना मर मर के जीता है, और कोई किसी को याद करना भी जरूरी नही समझता…
एक अजीब दास्तान है मेरे अफसाने की, मैने पल पल कोशिश की उसके पास जाने की, किस्मत थी मेरी या साजिश थी ज़माने की, दूर हुए इतना जितनी उम्मीद थी करीब आने की…
दूर जाकर भी हम दूर जा ना सकेंगे, कितना रोयेंगे बता ना सकेंगे, गम इसका नही की आप मिल ना सकोगे, दर्द इस बात का होगा की हम आपको भुला ना सकेंगे…