Bin Tere Ye Zindagi Hai Kaisi
क्या कहे बिन तेरे ये जिंदगी है कैसी, दिल को जलाती ये बेबसी है कैसी, ना कह पाते है ना सह पाते है, ना जाने तकदीर मे लिखी ये आशिकी है कैसी…
क्या कहे बिन तेरे ये जिंदगी है कैसी, दिल को जलाती ये बेबसी है कैसी, ना कह पाते है ना सह पाते है, ना जाने तकदीर मे लिखी ये आशिकी है कैसी…
पलकों मे कैद कुछ सपने है, कुछ अपने है और कुछ बेगाने, ना जाने क्या कशिश है इन खयालों मे, कुछ लोग दूर होकर भी कितने पास है…
हर सागर के दो किनारे होते है, कुछ लोग जान से भी प्यारे होते है, ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो, क्योंकी जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है…
हर मुलाकात पर वक्त का तकाज़ा हुआ, हर याद पे दिल का दर्द ताजा हुआ, सुनी थी सिर्फ हमने गज़लों मे जुदाई की बातें, अब खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ…