Nafrat Thi Humse To Pyaar Kyo Kiya
नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यों किया..? देना था ज़हर तो प्यार क्यों किया..? देकर ज़हर कहते हो पीना ही होगा और, जब पी गए ज़हर तो कहते हो अब जीना ही होगा…
नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यों किया..? देना था ज़हर तो प्यार क्यों किया..? देकर ज़हर कहते हो पीना ही होगा और, जब पी गए ज़हर तो कहते हो अब जीना ही होगा…
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने, भरी महफिल में तनहा बिठा दिया उसने, ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से, खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने…
गैरों पर मरने की उनकी फितरत हो गयी, हमारी मोहब्बत उनकी शिकायत हो गयी, सारी दुनिया को चाहते है वो अपनाना, बस एक मेरे ही नाम से उन्हे नफरत हो गयी…
झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है, वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है, यकीन न करना हर किसी पे, क्यू की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…