Dosti Aisi Karo Ki Majhab Bich Me Na Aaye

दोस्ताना कम से कम इतना
बरकरार रखो कि,
मजहब बीच में न आये..
कभी तुम उसे मंदिर तक छोड दो,
कभी वो तुम्हे मस्जिद छोड आये…!!