औरत से है यह दुनिया सारी
फिर भी यह ग़ुलामी सहती है,
औरत के लिए है जीना सजा
फिर भी वह जीए जा रही है,
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औरत संसार की किस्मत है
फिर भी किस्मत की मारी है,
औरत आज भी ज़िंदा जलती है,
फिर भी कहलाती वह क़ुरबानी है,
औरत के लिए रोना खता है
फिर भी वह हर ज़ुल्म सहती है,
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औरत ने जनम दिया मर्दों को
फिर भी वह कहलाती पैरों की जूती है…
जागतिक महिला दिन की शुभकामनाएं!
Mahila Diwas Kavita
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