रात के पहलु में तेरी याद क्यू है,
तू नहीं तो तेरा एह्सास क्यू है,
मैने तो बस तेरी ख़ुशी चाही थी,
ऐ जान पर तू आज तक,
इतने ”दूर” क्यू हे !
रात के पहलु में तेरी याद क्यू है,
तू नहीं तो तेरा एह्सास क्यू है,
मैने तो बस तेरी ख़ुशी चाही थी,
ऐ जान पर तू आज तक,
इतने ”दूर” क्यू हे !