Kuch Mohabbat Ka Nasha Tha Pahle Hamko
कुछ मोहब्बत का नशा था पहले हमको, दिल जो टुटा तो नशे से मोहब्बत हो गयी…
कुछ मोहब्बत का नशा था पहले हमको, दिल जो टुटा तो नशे से मोहब्बत हो गयी…
अजीब दस्तूर है मोहब्बत का, रूठ कोई जाता है टूट कोई जाता है…
कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ तो भी कोई बात नहीं, वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं बाँट दिया करते है…
क्या ज़रूरत थी दूर जाने की, पास रहकर भी तो तड़पा सकते थे…