जमाने का ये दस्तुर कैसा,
प्यार को पाना ये कसुर कैसा,
अगर मोहब्बत गुनाह है जमाने मे,
तो फिर इंसानो को मोहब्बत सिखानेवाला वो खुदा बेकसुर कैसा…
जमाने का ये दस्तुर कैसा,
प्यार को पाना ये कसुर कैसा,
अगर मोहब्बत गुनाह है जमाने मे,
तो फिर इंसानो को मोहब्बत सिखानेवाला वो खुदा बेकसुर कैसा…