Jindagi Bhar Jeb Bharne Ki Khatpat Kyo
“जिंदगी का पहला कपडा लंगोट, जिसमे जेब नहीं.. जिंदगी का आखरी कपडा कफ़न, उसमे भी जेब नहीं.. फिर जिंदगी भर, इस जेब को भरने की खटपट क्यों..?
“जिंदगी का पहला कपडा लंगोट, जिसमे जेब नहीं.. जिंदगी का आखरी कपडा कफ़न, उसमे भी जेब नहीं.. फिर जिंदगी भर, इस जेब को भरने की खटपट क्यों..?
किसी भी मनुष्य की वर्तमान स्थिति देखकर उसके भविष्य का उपहास मत उड़ाए क्योंकि काल में इतनी शक्ति है की वो एक साधारण से कोयले को भी धीरे-धीरे हिरे में बदल देता है…
शरीफो की गरीबी में भी, इज्जत कम नहीं होती.. करो सोने के टुकड़े सौ, तो भी कीमत कम नहीं होती…
यदि कोई व्यक्ति आपको, गुस्सा दिलाने में सफल रहता है, तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली है…