एक और ज़िन्दगी मांग लो खुदा से,
ये वाली तो दफ्तर में ही कट जानी है,
न ख़ुशी खरीद पाता हूँ, न ही गम बेच पाता हूँ,
फिर भी ना जाने क्योँ मैं हर रोज कमाने जाता हूँ…
एक और ज़िन्दगी मांग लो खुदा से,
ये वाली तो दफ्तर में ही कट जानी है,
न ख़ुशी खरीद पाता हूँ, न ही गम बेच पाता हूँ,
फिर भी ना जाने क्योँ मैं हर रोज कमाने जाता हूँ…