कांच को चाहत थी पत्थर को पाने की,
एक बार फिर टूट कर बिखर जाने की,
बस इतनी सी चाहत थी उस दीवाने की,
अपणे टुकड़ो मे उसकी तस्वीर सजाने की…
कांच को चाहत थी पत्थर को पाने की,
एक बार फिर टूट कर बिखर जाने की,
बस इतनी सी चाहत थी उस दीवाने की,
अपणे टुकड़ो मे उसकी तस्वीर सजाने की…