होठों में लेकर नाम उनका मैं जी रहा हूँ आज भी,
निँदो में लेकर ख्वाब उनका मैं सो रहा हूँ आज भी,
उन्हें तो पता ही नहीं के हम कितना चाहते थे उन्हें,
फिर भी उन्ही की राहो में इंतज़ार से बैठा हूँ मैं आज भी!
होठों में लेकर नाम उनका मैं जी रहा हूँ आज भी,
निँदो में लेकर ख्वाब उनका मैं सो रहा हूँ आज भी,
उन्हें तो पता ही नहीं के हम कितना चाहते थे उन्हें,
फिर भी उन्ही की राहो में इंतज़ार से बैठा हूँ मैं आज भी!