Bahut Kuch Kahti Hai Aankhe
यूं तो खामोश ही रहती है आँखे, अगर समझ सको तो, बहुत कुछ कहती है आँखे, कौन कहता है, की रोती है आँखे, रोता तो दिल है, मगर कहती है आँखे…
यूं तो खामोश ही रहती है आँखे, अगर समझ सको तो, बहुत कुछ कहती है आँखे, कौन कहता है, की रोती है आँखे, रोता तो दिल है, मगर कहती है आँखे…
हमे उनसे कोई शिकायत नहीं, शायद हमारी ही किसमत में चाहत नहीं, मेरी तक़दीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया, पूछा तो कहा ये मेरी लिखावट नहीं…
रात सुबह का इंतजार नहीं करती, खुशबू मौसम का इंतजार नहीं करती, जो भी जिंदगी से मिले उसको ख़ुशी से जियो, क्योंकि जिंदगी वक्त का इंतजार नहीं करती…
ख्वाहिश ये मेरी नहीं की, “तारीफ” हर कोई करे.. कोशिश लेकिन है यही की, कोई बुरा भी ना कहे…