Kaanch Ko Chahat Thi Pathhar Ko Pane Ki
कांच को चाहत थी पत्थर को पाने की, एक बार फिर टूट कर बिखर जाने की, बस इतनी सी चाहत थी उस दीवाने की, अपणे टुकड़ो मे उसकी तस्वीर सजाने की…
कांच को चाहत थी पत्थर को पाने की, एक बार फिर टूट कर बिखर जाने की, बस इतनी सी चाहत थी उस दीवाने की, अपणे टुकड़ो मे उसकी तस्वीर सजाने की…
दिल को हमारे चुराया है आपने, दूर होते हुए भी अपना बनाया है आपने, कभी भुल न पाएंगे आपको क्युकी, याद करना भी सिखाया है आपने…
हसीन चेहरे पर कभी ऐतबार ना करना, तोड देते है दिल कभी प्यार ना करना, है गुजारीश दोस्तों से मेरी, मर जाओगे वह ना आएंगे, इंतजार मे उनके अपना किमती वक्त बर्बाद ना करना…
कैसे कहे के जिंदगी क्या देती है, हर कदम पे ये दगा देती है, जिनकी जान से भी ज्यादा कीमत हो दिल मे, उन्ही से दूर रहने की सजा देती है…