Ajeeb Julm Huye Hai Mohbbat Par
अजीब जुल्म हुए है दुनिया में मोहब्बत पर, जिन्हें मिलीं उन्हें कदर नहीं और, जिन्हें कदर थी उन्हें मिलीं नहीं…
अजीब जुल्म हुए है दुनिया में मोहब्बत पर, जिन्हें मिलीं उन्हें कदर नहीं और, जिन्हें कदर थी उन्हें मिलीं नहीं…
इरादा क़त्ल का था तो, मेरा सर कलम कर देते, क्यों इश्क में डालकर तूने, हर साँस पर मौत लिख दी…
मुहब्बत ना सही, मुकदमा ही कर दे मुझ पर, कम से कम तारीख दर तारीख मुलाकात तो होगी…
ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है, ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है, पर प्यार करके प्यार ही मिले, ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ ही होता है ।