Khud Ko Kho Diya Apno Ko Pate Pate
कितने दूर निकल गए, रिश्तों को निभाते निभाते.. खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते…
कितने दूर निकल गए, रिश्तों को निभाते निभाते.. खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते…
“अपनों के साथ, वक्त का पता नहीं चलता.. मगर, वक्त के साथ, अपनों का पता चल जाता है…
मुलाकात जरुरी है, अगर रिश्ते निभाने हो, वरना लगा कर भूल जाने से, पौधे भी सुख जाते है…
रिश्तों की ही दुनिया मे अक्सर ऐसा होता है, दिल से इन्हे निभाने वाला ही रोता हैं, झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए, क्योंकि हर रिश्ता एक नाजुक समझौता होता हैं!!