क्यों तुझको देखना चाहती है मेरी आँखे,
क्यों खामोशियाँ करती है बस तेरी बाते,
क्यों इतना चाहने लगा हूँ तुझको मै,
की तारे गिनते हुए कटती है मेरी राते,
तू ही कुछ बता दे क्या मै करू इनका,
हर पल जो मुझे तडपाती है तेरी यादे…
क्यों तुझको देखना चाहती है मेरी आँखे,
क्यों खामोशियाँ करती है बस तेरी बाते,
क्यों इतना चाहने लगा हूँ तुझको मै,
की तारे गिनते हुए कटती है मेरी राते,
तू ही कुछ बता दे क्या मै करू इनका,
हर पल जो मुझे तडपाती है तेरी यादे…