Yaar Ki Khatir To Kaante Bhi Kabul Hai

अपनी जिंदगी के अलग ही उसुल है, यार की खातिर तो कांटे भी कबुल है, हसकर चल दू कांच के टुकडों पर भी, अगर यार कहे ये मेरे बिछाए हुए फुल है…