Muhabbat Pe Mukadma
मुहब्बत ना सही, मुकदमा ही कर दे मुझ पर, कम से कम तारीख दर तारीख मुलाकात तो होगी…
मुहब्बत ना सही, मुकदमा ही कर दे मुझ पर, कम से कम तारीख दर तारीख मुलाकात तो होगी…
इंतजार की आरजू अब खो गयी है, खामोशियों की आदत हो गयी है, ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से, अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाइयों से हो गयी है…
जो नही आता उसका इंतजार क्यों होता है, किसी के लिये अपना ये हाल क्यों होता है, वैसे तो इस दुनिया मे काफी चीजे प्यारी है, जो नही मिलता उसी से प्यार क्यों होता है…
इस दुनिया मे आँसू की कीमत वो क्या जाने, जो हर बात पे आँसू बहाते रहते है, आँसू की कीमत उनसे पूछो, जो गम मे भी हँसते और मुस्कुराते रहते है…