जन्नत का दूसरा नाम “माँ” हैं।
सन्नाटा छा गया बंटवारे के किस्से में, जब माँ ने पूछा, मैं हूँ किसके हिस्से में.?
जिस घर में माँ की कदर नहीं होती, उस घर में कभी बरकत नहीं होती…!