Panch Chipkaliya Deewarpar Cadh Jati Hai
पांच छिपकलियां दीवारपर चढ़ जाती है, उन मे से एक छिपकली इतनी, मधुर, गाना गाती है कि बाकी कि चार छिपकलिया जमीन पर गिर जाती है, क्यू???
पांच छिपकलियां दीवारपर चढ़ जाती है, उन मे से एक छिपकली इतनी, मधुर, गाना गाती है कि बाकी कि चार छिपकलिया जमीन पर गिर जाती है, क्यू???
भिकारी नही पर भीक मांगता है, लड़की नही पर पर्स इस्तमाल करता है, पुजारी नही पर घंटी बजाता है,
ये साल की “मकर संक्रांत” आपके लिए तिल-गुल जैसी मीठी और ‘पतंग’ जैसी ऊँची उड़ान लाये “हैप्पी संक्रांति”
बिन सावन बरसात नहीं होती, सूरज डूबे बिन रात नहीं होती, अब ऐसी आदत हो गई है की, आपको विश किये बिन किसी, त्यौहार की शुरुवात नहीं होती… Happy Makar Sankrant!