Udne De In Parindo Ko Ajad Feejao Me
मिर्जा ग़ालिब… “उड़ने दे इन परिंदों को आजाद फिजाओ में… जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे” शायर इक़बाल का जवाब… “न रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से… जब पर निकल आते है, तब अपने भी आशियाना भूल जाते है”
मिर्जा ग़ालिब… “उड़ने दे इन परिंदों को आजाद फिजाओ में… जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे” शायर इक़बाल का जवाब… “न रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से… जब पर निकल आते है, तब अपने भी आशियाना भूल जाते है”