Mere Mehboob Ko Rakhna Tu Salamat

हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन,
जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन,
या रब मेरे मेहबूब को रखना तू सलामत,
वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन?